कहानी तेरी मेरी
कहानी तेरी मेरी
🌺 कहानी तेरी–मेरी 🌺
❤️
शास्त्रीय श्रृंगारिक काव्य ❤️
✍️ श्री हरि
🗓️ 23.12.2025
कहानी तेरी–मेरी
न शब्दों की रचना है,
यह तो नयन–नयन के
मौन संवाद की साधना है।
तू जब सम्मुख आती है,
तो समय
अपनी गति भूल जाता है,
क्षण-क्षण
तेरे सौंदर्य के
चरणों में शीश नवाता है।
तेरे नयन—
जैसे मधुकरी मधुशाला,
जिनमें
दृष्टि प्रवेश करे
तो लौटना भूल जाए।
तेरे अधर—
अनकहे मंत्रों की सीमा,
जहाँ वाणी ठहरकर
केवल रस बन जाती है।
तेरे केशों की अलकें
मेरे चित्त पर
वनलता-सी फैल जाती हैं,
और मेरा विवेक
तेरे सौंदर्य में
संयम खोजता है।
यह प्रेम
उच्छृंखल नहीं,
यह तो
लज्जा की ओट में
अभिलाषा का
दीप प्रज्वलन है।
तेरे स्पर्श में
मेरी चेतना
कंपित नहीं—
स्निग्ध हो जाती है,
जैसे वीणा
सहज उँगलियों में
स्वर बन जाए।
हमने
देह को नहीं,
भाव को
आलिंगन किया है,
और उसी आलिंगन में
अनंत का
अनुभव किया है।
कहानी तेरी–मेरी
श्रृंगार का शास्त्र है,
जहाँ
कामना तप बन जाए
और सौंदर्य
आराधना।
यदि कभी कोई पूछे—
यह प्रेम क्या है?
तो कह देना—
यह वह रस है
जिसमें
आत्मा मुस्कराती है
और देह
मर्यादा सीखती है।

