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Devendraa Kumar mishra

Comedy Tragedy

4  

Devendraa Kumar mishra

Comedy Tragedy

भ्रष्टाचार हटाओ अभियान

भ्रष्टाचार हटाओ अभियान

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हमारे शहर के कुछ लोगों ने 

भ्रष्टाचार हटाओ अभियान पर शहर के कुछ सम्मानित भ्रष्ट लोगों को बुलाया 

उनको फ़ूलों का हार पहनाया 

और उन्हें दो शब्द कहने के लिए मंच पर बुलाया 

सबसे पहले दफ्तर के बाबू आए 

उन्होंने हमे कुछ इशारे बताये 

हम समझ न पाए 

तो वे धीरे से हमारे पास आए और बोले "सरकारी दफ्तर का क्लर्क हूँ 

फाइल खोलने के लिए पांच सौ रुपए की रिश्वत खाता हूँ 

आप तो मुहं खोलने के लिए कह रहे हैं 

और पांच सौ तो दूर पचास रुपये भी नहीं दे रहे हैं 

हमनें कहा" ये भ्रष्टाचार हटाओ अभियान है 

न की कोई फाइल "

वे बोले" कर दिया न कलेजा घायल 

जब तक नहीं दोगे खर्चा पानी 

हम कुछ भी नहीं बोलेंगे जानी" 

हमनें उन्हें रुपये देने का आश्वासन ठीक उसी तरह दिया जैसे चुनाव के समय नेता जनता से करते हैं ज़माने भर के वादे 

और चुनाव के बाद उनकी याददाश्त गोल हो जाती है, हिन्दी फिल्म के हीरो की भांति 

खैर जब क्लर्क जी बोले 

तो ऐसे जैसे फूटे हों दर्द के गोले 

"अरे हम सिर्फ हजार, पांच सौ की रिश्वत खा रहे हैं 

खाने वाले तो पूरा देश खा रहे हैं 

वो भी इसलिए कि महंगाई में घर का खर्चा नहीं चलता, चूल्हा नहीं जलता 

चार बच्चों का पेट नहीं पलता 

जो भरता है पेट तो बच्चों की फीस रह जाती है 

बच्चों की उदास सूरतें बहुत कुछ कह जाती है 

पापा मेरे दोस्त के पास सुन्दर कपड़े हैं, गाड़ी है, मोबाइल है, कम्प्यूटर है 

बच्चों से तो कर देते हैं झूठा वादा 

पर पत्नी के तन पर दो साल से वही फटी, पुरानी साड़ी 

जो अब सिलने से करती हैं इंकार 

जब जाती है नल पर भरने पानी मुहल्ले वालों की नजरे

अपनी ओर देख हो जाती है शर्म से पानी पानी 

कहते कहते बाबूजी रोने लगे 

हमारे नेत्र भी सजल होने लगे 

उसके बाद हमनें नेताजी को बुलाया 

हमनें कहा "कहिये, आप भी दो शब्द" 

वे बोले "जय हिंद, हो गए, दो शब्द" 

हमने कहा "हुज़ूर कुछ तो बोलिए 

भ्रष्टाचारी पर अपनी ही पोल खो लि‍ए 

आपको कुर्सी की कसम" 

वे बोले "कसमें खाना तो हमारा काम है 

नेतागिरी इसी का नाम है 

हमनें जब भी जनता से किया कोई वादा 

पूरा तो दूर, नहीं किया आधा 

सच बात तो ये है कि हमे खुद याद नहीं रहता कि हम किससे क्या वायदा करते हैं 

अरे हम तो यूँ ही कह देते हैं 

आप क्यों सीरियस ले लेते हैं 

अरे हम कोई राजा हरिश्चंद्र की औलाद हैं 

जो सच बोले, हमारी मर्जी, हम सच बोले या झूठ बोले 

और रहा भ्रष्टाचारी का सवाल 

तो ये नहीं हटेगी 

कहीं से भी नहीं फटेगी 

किसी तरह नहीं घटेगी 

चलाने को तो हम कितने अभियान चलाते हैं 

महंगाई हटाओ अभियान 

मगर क्या होता है, मंहगाई और बढ जाती है 

हिन्दी प्रचार दिवस, एकता दिवस 

दूसरे दिन लोग भूल जाते हैं 

जातिवाद और अंग्रेज़ी में खो जाते हैं 

और ये जो आप लोगों ने हमारे पुतले बनाए हैं 

इन्हें जलाने से क्या होगा 

अरे कायरों, हिम्मत है तो हमें जलाओ 

हम जैसे भ्रष्टाचारियों को मिटाओ 

तुम लोगों ने भ्रष्टाचार हटाओ अभियान चलाया है तो हटाओ भ्रष्टाचार को 

हम करते हैं स्वीकार 

हम फैलाते हैं भ्रष्टाचार 

हमें जलाना तो दूर, हमारे पास भी आओगे 

तो पुलिस के डंडे खाओगे 

कानून से सजा पाओगे 

अगर है इतना सामर्थ्य भ्रष्टाचार मिटाने का 

तो पहले दम रखो स्वयं मिटने का 

देश और जनता पर समर्पित होने का 

यदि नहीं तो बंद करो ये तमाशा 

ये व्यर्थ की भाषण बाजी 

जनता की जोरदार तालियां बाजी 

और इस तरह भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान धूमधाम से संपन्न हो गया. 



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