Devendraa Kumar mishra

Abstract

4  

Devendraa Kumar mishra

Abstract

मौन

मौन

1 min
348


जब कोई न सुने तुम्हारी बात 

तो मौन रहना ही ठीक है


भविष्य में झांकने से बेहतर है 

वर्तमान में जीना ठीक है 


जब कोई अनदेखा करे बार बार 

तो उसे भूल जाना ही ठीक है 


जब कोई सिला न मिले प्यार का 

तो दिल से दूर कर देना ही ठीक है 


इतना आसान नहीं है मानता हूं 

किन्तु सुकून दिल के लिए ठीक है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract