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Devendraa Kumar mishra

Abstract

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Devendraa Kumar mishra

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नास्तिक बने

नास्तिक बने

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जब धर्म के नाम पर हिंसक ही होना है 

कातिल बनकर अनाथ ही करना है लोगों को 

जब डर और भय ही पैदा करना है लोगों में 

तो अच्छा है कि हम वास्तविक बने 

आओ हम सब नास्तिक बने 

जब धर्म काम करे धतूरे का 

नशा हो जाए धर्म का 

और किसी धार्मिक किताब के लिए हमें आगजनी,

तोड़फोड़, संविधान को चकनाचूर करना पड़े 

जब हमें अपने तथाकथित पैगम्बर, देवताओं के लिए जो न देखे गए 

न उम्मीद है मिलने की, किसी की गर्दन काटना पड़े 

बलि के नाम पर किसी की हत्या करना पड़े 

तो अच्छा है कि हम वास्तविक बने 

आओ हम नास्तिक बने 

धर्म के नाम पर इतना अधर्म, इतना रक्तपात कभी नहीं हुआ 

अच्छा है कि हम अधर्मी बने 

और प्रेम, दया, करुणा, मनुष्यता से स्वयं को भरे 

आओ वास्तविक बने 

आओ, चलो नास्तिक बने. 



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