एक पूरा वीरान संसार है, जो खड़ा है हमारे सामने एक प्रश्नवाचक कि तरह , जिसे हम ख़ूबसूरती के... एक पूरा वीरान संसार है, जो खड़ा है हमारे सामने एक प्रश्नवाचक कि तरह , ...
हज़ार मिन्नतें और लाख मनुहार के बाद भी, उनकी खामोशी नही टूटती, बल्कि और मजबूत हो जाती है..... हज़ार मिन्नतें और लाख मनुहार के बाद भी, उनकी खामोशी नही टूटती, बल्कि और मजबूत हो ...
तो इन्हें सँवारने से पहले क्यों न खुदको सँवारे हम। तो इन्हें सँवारने से पहले क्यों न खुदको सँवारे हम।
घर,परिवार,समाज फिर राष्ट्र या विश्व, वैश्विक प्रेम, वसुधैव प्रेम, वसुधैव कुटुंबकम भ घर,परिवार,समाज फिर राष्ट्र या विश्व, वैश्विक प्रेम, वसुधैव प्रेम, वसुधै...
चेहरा भी तो नहीं देखा मेरा चेहरा भी तो नहीं देखा मेरा
रंग प्रित का कान्हा एसा डारे सखी री, अपने ही रंग में मोहे रंग जावे है। रंग प्रित का कान्हा एसा डारे सखी री, अपने ही रंग में मोहे रंग जावे है।