आयी है आयी होली आयी के माने नहीं मेरा ये जियरा। आयी है आयी होली आयी के माने नहीं मेरा ये जियरा।
रंग प्रित का कान्हा एसा डारे सखी री, अपने ही रंग में मोहे रंग जावे है। रंग प्रित का कान्हा एसा डारे सखी री, अपने ही रंग में मोहे रंग जावे है।
मेरी डोर क्या कभी मुक्त होगी ? जब मैं कठपुतली नहीं इंसान कहलाऊंगी। मेरी डोर क्या कभी मुक्त होगी ? जब मैं कठपुतली नहीं इंसान कहलाऊंगी।
खाट लगे बिस्तर पर गहरी नींद में सो जाता हूं। खाट लगे बिस्तर पर गहरी नींद में सो जाता हूं।
न ही करता शिकायत ज़िन्दगी से, मुझे कुछ मिला नहीं। न ही करता शिकायत ज़िन्दगी से, मुझे कुछ मिला नहीं।
सोच जीवन के उद्देश्य को थोड़ा थाम ले ऐ मुसाफिर रुक तनिक आराम कर ले। सोच जीवन के उद्देश्य को थोड़ा थाम ले ऐ मुसाफिर रुक तनिक आराम कर ले।