घर,परिवार,समाज फिर राष्ट्र या विश्व, वैश्विक प्रेम, वसुधैव प्रेम, वसुधैव कुटुंबकम भ घर,परिवार,समाज फिर राष्ट्र या विश्व, वैश्विक प्रेम, वसुधैव प्रेम, वसुधै...
लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा.. लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा..