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Anmol Mago

Inspirational

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Anmol Mago

Inspirational

मिथ्या

मिथ्या

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ख़ूबसूरती के नए व्याख्यान

ढूंढते - ढूंढते,

हम अक्सर भूल जाते हैं,

उस हीनता को जो हर

दिल में पनपती है। 


हम भूल जाते हैं,

उन संकरी धूल जमी

तंग गलियों को ,

जहाँ से गुज़रते चेहरों पर,

पसीना अंगार बनकर दहकता है। 

जो किसी आदत की तरह ,

बार - बार निराशा और

उम्मीद के जाल में गोते खा रहे हैं। 


और जो सुबहो शाम भटकते हैं ,

इन नीम बाग़ शहरों में ,

और फिर किसी थके हारे

मुसाफिर की मानिंद लौट जाते हैं,

किसी प्रगाढ़ रहस्य में

जो इस सभ्यता की समझ से परे है। 


श्रृंगार के नए गीत रचते- रचते ,

हम भूल जाते हैं कि

महकते रुकों और

अमीर मयखानों से परे,

एक पूरा वीरान संसार है,

जो खड़ा है हमारे सामने

एक प्रश्नवाचक कि तरह ,

जिसे हम ख़ूबसूरती के

क़ालीन तले ढक देना चाहते हैं। 


मगर प्रेम से तड़पते युवकों,

और इतिहास कि विरासत से दूर ,

एक वर्तमान है, जहाँ न गुल है,

ना प्रेम है, न कोई दया,

है तो बस चंद काँपते हाथ

ओझल आँखें और

एक सहमी हुई आवाज़, 

जो सच कह देना चाहती है।



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