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Sudhir Srivastava

Inspirational

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Sudhir Srivastava

Inspirational

संतकबीर

संतकबीर

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कबीर अब कबीर नहीं 

विचारधारा बन गई है,

कबीर के विचारों में

असीम निश्छल नमी है।

बालपन में ही बने कबीर

निर्गुणी ब्रह्मज्ञानी हो गए,

रामानंद जी शिष्य बन

संत कबीर बन गये।

जुलाहा दंपति ने पाला पोसा

उनकी ही संतान कहाए,

असली माता पिता कौन थे

अब तक कोई जान न पाये।

निर्गुण निराकार फक्कड़ कबीरा

परमब्रह्म ही उनकी शक्ति बनी

लगती थी बातें जिनको बेढंगी

उनसे रहती सदा उनकी ठनी।

अंधविश्वास, जाति पाँत, भेदभाव 

छुआछूत के रहे सदा वो विरोधी,

मस्ती में कहते थे वे सच्ची बातें

हिंदू या मुस्लिम सब निशाने पर रहते।

नहीं डरना सीखा न की कभी परवाह

हर किसी को ई

श्वर की संतान बताते

कभी भी किसी से न वो कुछ छुपाते

खुली किताब जैसे सभी उन्हें पाते।

संत शिरोमणि कबीर कहलाये

हृदय में निर्मल सी गंगा बहाये

निराकार को थे हृदय में बसाये

राम रहीम का भेद नहीं कर वो पाये।

सार तत्व को रहे सदा वो बताये

भटकते लोगों को संमार्ग दिखाये

काशी में रहे मगर मस्त कबीर

मगहर में आकर मुक्ति धाम पाये।

हिंदू ने उन्हें सदा माना हिंदू

मुस्लिम भी उन्हें मन में बसाये,

मगहर में देखो लीला निराली

हिंदू ने मंदिर मुस्लिम ने मजार बनाए।

ये कैसी थी लीला निराकार की

नहीं अलग होती वहाँ पर जाति किसी की,

जाता वहाँ जो बस होता वो मानव

टिकाता शीष जाकर चौखट पर उसकी।


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