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Dr Sushil Sharma

Inspirational

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Dr Sushil Sharma

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दोहे (हिन्दी का इतिहास)

दोहे (हिन्दी का इतिहास)

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वाल्मीकि संग व्यास थे, संस्कृत के आधान।

माघ भास अरु घोष थे, कालीदास समान।


आदि मध्य अरु आधुनिक, हिन्दी का इतिहास।

तीन युगों में है बसा, भाषा रत्न विकास।


भक्ति काव्य में हैं निहित, मीरा तुलसी सूर।

अवधी ब्रज भाषा बनी, भक्ति काव्य कंगूर।


मीरा कुम्भन जायसी, सूरदास रसखान ।

ब्रज की गलियों में रचा, स्वर्ण काव्य प्रतिमान ।


सिद्धों से आरम्भ हैं, काव्य रूप के छंद।

दोहा चर्यागीत में, लिखे गए सानंद।


संधा भाषा में लिखे, कवि कबिरा ने गीत।

कवि रहीम ने कृष्ण की, अद्भुत रच दी प्रीत।


पद्माकर केशव बने, रीतिकाल के दूत।

सुंदरता में डूबकर, गाये गीत अकूत।


भारतेन्दु से सीखिए, निज भाषा का मान।

निज भाषा सम्मान ही, जीवन का आधान।


पंत निराला से शुरू, देवी 'दिन' अज्ञेय।

जयशंकर बच्चन बने, हिन्दी ह्रदय प्रमेय।


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