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Dr Sushil Sharma

Abstract

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Dr Sushil Sharma

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श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

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सप्त स्वर धारा

स्वरा तुम

गीत की झंकार हो।

अनय प्राण प्रबोधनी तुम

स्वरों सी साकार हो।


हो प्रफुल्लित

यामिनी तुम,

आद्य मनसित पावनी।

गीत की लय ताल तुमसे

मनस की तुम

रागनी।

हो धरा पर स्वर्ग वाणी

वाग्दत्ता सार हो।


यूँ चलीं तुम

स्वर्गपथ पर

हम सभी को छोड़ कर

सारे रिश्ते तोड़ कर

मुँह सभी से मोड़ कर


आज भारत रो रहा है

कोकिला उसकी चली

गीत चुप संगीत खाली

सप्त स्वर सब मौन हैं

यक्ष सा ये प्रश्न आगे

अब लता सा कौन है ?


न कोई था आप जैसा

न कोई आगे भी होगा

आपका कृतित्व

सबके लिए

अनुकरणीय होगा

आँख नम हैं

हृदय भारी

आज अंतिम यात्रा पर हैं

लता दीदी हमारी।


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