लिंग- भेद तिरोहित लेखन में-
लिंग- भेद तिरोहित लेखन में-


ब्रह्मांड- ऊर्जा, देती,
निश्चयी संदेश,
एक सकारात्मक
ऊर्जा करती,व्यक्त,
एक तड़पन,एक,
मूक, निराश संघर्ष,
अस्तित्व हेतु,
रचनाकार वह, जो,
चलाता,निज लेखनी,
कथ्य उसका है,
स्वविचार- तत्व, चेतना, जो
उसका समर है,
वह, केवल लेखक,
लिंग- भेद नहीं,
आत्मस्थ शब्द -ब्रह्म में,
भुवन को करता जो,
भव्य, उन्नत विचारों,
से वह, मात्र,लेखक,
न स्त्री,न पुरुष...