STORYMIRROR

Dr Sushil Sharma

Inspirational

4  

Dr Sushil Sharma

Inspirational

दोहे (गुरु वंदना)

दोहे (गुरु वंदना)

1 min
1.2K


धर्म प्रवर्तक अग्रणी, श्रीमन व्यास सुजान।

व्यास पूर्णिमा पर प्रभो, गुरु देते हैं ज्ञान।


तेज रूप गुरु ब्रह्म हैं, मुक्ति प्रदाता संत।

परमब्रह्म परमेश्वरा, करते तम का अंत।


आत्मबोध परिपक्क्वता, देते शुद्ध विचार

हनें पूर्ण अज्ञान को, शुद्ध आचरण धार।


है असीम सामर्थ्य मन, बिन गुरु कृपा असाध्य।

शिखर वही पाता सदा, जिसके गुरु आराध्य।


जाग्रत सँग विकसित करें, बुद्धि चित्त विवेक।

अवरोधों को दूर कर, करते सत अभिषेक।


>आत्मबोध सन्मार्ग पर, चलता शिष्य अबाध।

जिस पर गुरु की है कृपा, पूरी हो हर साध।


हैं समग्र व्यक्तित्व के, निर्माता गुरु देव।

पुण्य चेतना सम्पदा, पाता शिष्य स्वमेव।


दें चरित्र उत्कृष्टता, आत्मोन्नति अनुदान।

सर्वांगीण विकास में, गुरुवर हैं वरदान।


गठबंधन गुरु-शिष्य का, श्रेष्ठ जीव संबंध।

गुरु बिन शिष्य अपूर्ण ज्यों, उपवन बिना सुगंध।


गुरुचेतन में विलय ही, शिष्य सुलभ पहचान।

स्वयं मिटे जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational