मृत्यु का स्वागत
मृत्यु का स्वागत


जन्म से पहले करते शिशु के स्वागत की तैयारी
उसके झूले, कपड़े, बर्तनों की करते खरीददारी
उसके जन्म पाते ही घर में खुशियाँ खूब मनाते
नामकरण पर मेहमानों को प्रीतिभोज खिलाते
शादी की तैयारी में भी सारा परिवार जुट जाता
उपहार खरीदे जाते हर कोई नए वस्त्र सिलाता
सब तैयारी के बाद में जब दिन शादी का आता
खुशियाँ सभी मनाते हैं और हर कोई मुस्काता
लेकिन मृत्यु के समय क्यों मन में उदासी छाती
ना चाहकर भी सबकी आंखें आंसू क्यों बहाती
कारण इसका जानने का आओ हम प्रयास करें
घटित अवश्य होनी है फिर मृत्यु से हम क्यों डरें
अचानक हुई घटना के लिए ना होते हम तैयार
इसीलिए ना कर पाते उसे दिल से हम स्वीकार
मृत्यु भी सबके जीवन में अचानक ही तो आती
इसीलिए तो हम सबको स्वीकार नहीं हो पाती
मृत्यु है अटल सभी की दिल से कर लो स्वीकार
सबको ले जाने के लिए वो रहती है सदा तैयार
आत्मा है अमर सदा मृत्यु कुछ पल का विश्राम
पुनर्जन्म से पहले आत्मा करती है थोड़ा आराम
मृत्यु नहीं अन्त हमारा ये तो केवल मात्र पड़ाव
मृत्यु के द्वारा होता हम सबके तन का बदलाव
विश्व नाटक मंच पर हर आत्मा चरित्र निभाती
देह रूपी वस्त्र बदलकर भिन्न भिन्न पार्ट बजाती
मन से इसका भय निकालो मृत्यु से क्या डरना
नवजीवन पाना है सबको ना समझो इसे मरना
करो यही अभ्यास निरन्तर तन मेरा ये विनाशी
तन से न्यारे होने के बनते जाओ तुम अभ्यासी
जीवन रहते यदि खुद को बन्धनमुक्त बनाओगे
मृत्यु का स्वागत करके सहज वरण कर पाओगे।