ईमानदारी पर चलेंगे
ईमानदारी पर चलेंगे
बेईमानी की धुंध में, घिर गया सारा जमाना
मुश्किल हुआ इसके, चंगुल से निकल पाना
चिथड़े हुए जाते कपड़े, तन पर जो हैं पहने
झूठे लगने लगे सबको, ईमानदारी के गहने
बेईमानी ने सारे जग में, ऐसा तांडव मचाया
बड़े बड़े ईमानदारों को, इसने अपना बनाया
भरोसे की जमा पूंजी, बेईमानी ने लूट खाई
सच्चे लोगों को दुनिया ने, ठोकरें ही लगाई
जीवन आसान बनाना, हर किसी को भाता
मगर बेईमान बनना मेरे, मन को ना सुहाता
मुसीबतों के ओले कभी, गिरने से ना रुकेंगे
बेईमानी के आगे हम, जीवन भर ना झुकेंगे
इतना वक्त गुजर चुका, अब पूरा ही गुजारेंगे
लेकिन बेईमानी के आगे, हम कभी ना हारेंगे
एक वक्त का भोजन, स्वीकार हम कर लेंगे
ईमानदारी पर चलकर, लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे
ऊँ शान्ति