STORYMIRROR

Akshit Tomar

Inspirational

3  

Akshit Tomar

Inspirational

आकाश गंगा

आकाश गंगा

1 min
315

हमदर्द खुद की सूरत में,

आंखे नम कभी नहीं।

डूबे यह तिनके लहर तले,

फिर भी डर कर सैर नई।


खड़े खिले जो फूल हमारे,

सींचे हुए है खून तले।

मै हार कर हारा नहीं ,

क्यूंकि मन की माटी पाषाण कहीं।


यह जो राह उठे पर्वत बने,

इस राह से राही पूछता।

तू क्यों सोचता तू आसमान है,

जब मै आकाश गंगा पूजता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational