"शिव हार, शिव जीत"
"शिव हार, शिव जीत"
शिव ही हार, शिव ही जीत
शिव से लगा मनवा तू प्रीत
शिव बिना सब कुछ रिक्त
शिव ही एकमात्र पूर्ण गीत
सब रिश्ते है, स्वार्थजनित
शिव को बना तू मनमीत
शिव से बड़ा कौन पुनीत
विष पी डाला, सर्वहित
शिव है, परोपकारी संगीत
जो करता, शिव भक्ति नित
उसकी होती हर जगह, जीत
महाकाल से तू रख प्रीत
सदा रह जीवन में विनीत
जग रण में बनेगा रणजीत
शिव को सौंप सांस संगीत
शिव ही हार, शिव ही जीत
शिव ही जन्म, शिव ही मरण
शिव के पकड़े रह तू चरण
शिवभक्ति में रहते जो लीन
जन्म-मृत्यु के न होते, अधीन
शिव से बड़ी न कोई झील
शिव के बोले भजन नित
बीत जायेगा, दुःख, अतीत
शिव से मिटेगा तम चरित्र।
