एक वास्तव
एक वास्तव


कागा काला, कोयल काली, फर्क न जाने कोय
वसंत ऋतु जो आ जाये तो सबकुछ साफ होय
कांव कांव कागा की सुनकर हर कोई बौराय
कूहू कूहू की मीठी बोली सबके मन को भाय
ऐसा ही कुछ मानव के साथ भी होता जाय
झूठ-मूठ की मीठी तारीफ उसे बहुत सुहाय
अपनी बुराई के कडवे बोल उसे कभी ना भाय
जिसदिन कडवा सत्य पचा ले जीवन सफल हो जाए।