मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
तन्हाइयों में रहते उनकी यादों में डूब गये है हम.
लगता है किसी दिन अपना भी निकल जायेगा दम.
इतना प्यार करते थे फिर भी तुम बीच में छोड़ गई
बीमारी का बहाना था मझधार में दामन तोड़ गई.
रात भर अंबर में सितारों में भी ढूंढते है कहीं
पता है कि तुम कभी वापस आने वाले नहीं.
बीमारी में दर्द से तड़पती तो हम सहलाते थे
तेरी यादों के किस्से अब दिल को बहलाते थे.
तेरी यादों में डूब गया हूं यार मैं इस कदर तेरे जाने से
दिल को सुकून नहीं है मिलता अब किसी के आने से.
जीवन के अंतिम पड़ाव में अब तेरा साथ नहीं है
लड़खड़ाते पैरों को थामें ऐसा कोई हाथ नहीं है
तमन्ना है तू जहाँ भी हो , खुश रहना मेरे यार
अगले जनम में मिलेंगे, तो फिर से करेंगे प्यार.