है आत्मा वह कौन सी है जो बोलती तो है, आत्मा जैसा ? है आत्मा वह कौन सी है जो बोलती तो है, आत्मा जैसा ?
सोच समझकर कोई साजिश ना की थी, बस बहकते बहकते मैं तुझमें बहक गया सोच समझकर कोई साजिश ना की थी, बस बहकते बहकते मैं तुझमें बहक गया
करें हम नीर संवर्धन, बनायें खाल-चालों को। करें हम नीर संवर्धन, बनायें खाल-चालों को।
भवन रेत की जैसे ढहती है, जमीं के दर्द को पहचानो। भवन रेत की जैसे ढहती है, जमीं के दर्द को पहचानो।
बंधे है हम सभी उसी, प्रेम के बंधन से, बंधे है हम सभी उसी, प्रेम के बंधन से,