दो आत्माओं का मिलन
दो आत्माओं का मिलन
एक शाश्वत सत्य है,
दो आत्माओं का मिलन,
आती हैं वो पास पास,
एकात्म के लिए,
पूर्णता के लिए,
उस प्रियतम को पाने के लिए,
जिसके अंश है हम सब,
यह भी एक मिलन,
परमात्म मिलन सा है,
जब तोड़ हर मैं का बंधन,
सब एक हो जाते है,
न कोई भेद यहाँ,
नर और नारी का हैं,
यह मिलन तो परे हैं,
हर बंधन से,
हर भेदभाव से,
पर जब आ जाते हैं बंधन,
रह जाता है भेदभाव,
रह जाता हैं वह मिलन अधूरा,
रह जाती हैं,
बंधनों के बीच तड़पती
विशुद्ध आत्मा,
उस अद्भुत मिलन के लिए,
एक शाश्वत सत्य के लिए,
बंधे है हम सभी उसी,
प्रेम के बंधन से,
जो मिलाता हैं हमें,
जीवन के किसी मोड़ पर,
जीने शाश्वतता को,
पाने परमात्म सत्ता को,
जो न समझे तो,
रह जाते है ,
केवल मैं के बंधन,
और उस मैं में तड़पता एक विशुद्ध आत्मा।।