बुद्ध
बुद्ध
हां वो ही तो बुद्ध है।
न कभी जो क्रुद्ध है।।
प्रेम,करुणा से भरा,
अंतःकरण विशुद्ध है।।
छोड़ स्वार्थ की लकीरें,
बनाने मानवता की तकदीरे,
चल पड़ा जो अकेला,
हां,वही तो बुद्ध है।।
संवेदनाएं मन में लिए,
करुणा को धारण किए,
उद्धार करने जो चला,
हां,वही तो बुद्ध है।।
रो पड़ा जो करुणा से,
चल दिया निश्चल प्रेम संग,
संवारने को यह वसुंधरा,
हां,वही तो बुद्ध है।।
भूले भटको को राह दिखाने,
मानवता का कष्ट मिटाने,
चला लाने को प्रसन्नता,
हां,वही तो बुद्ध है।।
युद्ध से जिसने बचाया,
मानवता का पाठ पढ़ाया,
प्रेम, ज्ञान जो बरसाए,
हां, वही तो बुद्ध है।।