मां
मां
मां
वो तो है विराट ब्रह्मांड,
साक्षात परमेश्वर है धरा पर वो।
कोमल से हमारे जीवन को,
पल पल निखारती है जो।
कितनी रातें जाग जाग,
ख्याल हमारा रखती है।
एक एक मोती चुन चुन,
माला भविष्य की बुनती है।
आंचल की छांव में छिपा,
रक्षा सदा ही करती है,
और क्या लिखूं मां पर,
केवल निःश्ब्द हो जाती हूं।
मां की विराटता का अनुभव,
जब जब मन की गहराइयों में पाती हूं।।
