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Gaurav Tiwari

Inspirational

4.3  

Gaurav Tiwari

Inspirational

नारी है तू

नारी है तू

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ये धरा, धुरी पे टिकी जहाँ -

वो जनम-दायनी नारी तू ।।

ये पुष्पित पुलकित मानव जीवन-

वो प्राण- वाहिनी नारी तू ।।


84 करोड़ योनि तड़पा है जो 

उसको तूने तारा है,

पापित शापित सब जीवो को 

तूने ही पार उतारा है,

हर जहां के विष को पिने वाली -

वो अम्ब- रागिनी नारी तू ।।


ये धरा, धुरी पे टिकी जहाँ -

वो जनम-दायनी नारी तू ।


धरती से मंगल तक तूने,

अपना परचम लहराया है

शैल, गिरि, नग, पर्वत पे

तू-ने फतह कराया है,

जल थल नभ को धुल चटाये -

वो बाहुबली है नारी तू ।।


ये धरा, धुरी पे टिकी जहाँ -

वो जनम-दायनी नारी तू ।


तेरे अदम्य से साहस पे 

सूरज भी शीश झूकाता है

तेरी पलकों की छाओ में 

चंदा पसीज सा जाता है,

ईश्वर खुद तुझ पे कायल हो -

वो जग- जननी है नारी तू ।।


ये धरा, धुरी पे टिकी जहाँ -

वो जनम-दायनी नारी तू ।


अधरों पे मुस्कान लिए,

हर दुःख को सहती जाती है 

पति पिता माता बच्चे,

सब रिश्ते खूब निभाती है 

संवारे संकट की घड़ियाँ सब -

वो प्रभा- जनयित्री नारी तू ।।


ये धरा, धुरी पे टिकी जहाँ -

वो जनम-दायनी नारी तू ।


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