दो कदम की दूरी को तूने एक फ़ासला समझा मेरे बढ़ते हाथ को तूने एक सपना समझा दो कदम की दूरी को तूने एक फ़ासला समझा मेरे बढ़ते हाथ को तूने एक सपना समझा
इतना प्यार में हूँ मैं तेरे हर सांस भी मेरी थम सी जाती है। इतना प्यार में हूँ मैं तेरे हर सांस भी मेरी थम सी जाती है।
हाँ मगर मिलना अपना सच बहुत जरुरी है। हाँ मगर मिलना अपना सच बहुत जरुरी है।
जो भी दे तू मुझे, सब स्वीकार है धीर मैं न धरूं, लाख गलती करूं। जो भी दे तू मुझे, सब स्वीकार है धीर मैं न धरूं, लाख गलती करूं।
मत तड़पा अब मुझे ओ मेरी स्वप्न सुंदरी। मत तड़पा अब मुझे ओ मेरी स्वप्न सुंदरी।
बाकी राम ने तो खाये शबरी के बैरों की भी धुरी है। बाकी राम ने तो खाये शबरी के बैरों की भी धुरी है।