क्या यही प्यार है ?
क्या यही प्यार है ?
धीर मैं न धरूं, लाख गलती करूं,
अर्ज विनती करूं, करता है तू क्षमा।
बन के वन्धु सखा, और माता-पिता,
संरक्षक और यार है, क्या यही प्यार है ?
संग रहने का तेरे , कोई बहाना चाहिए
मौसम दिल का सदा , सुहाना चाहिए।
क्षण खुशियों के जो,साथ न दें देर तक,
ढूंढना कोई झगड़ा, पुराना चाहिए।
साथ रहना है बस,जीत गर न मिले,
संग रहने को अब हार स्वीकार है।
धीर मैं न धरूं, लाख गलती करूं।
साथ तेरा सुखद, सुख तेरे बिन नहीं,
दुखद हैं वे घड़ी, बीतें जो तेरे बिन।
कोई दूरी न हो, कोई मजबूरी न हो,
हो निशा या उषा, चाहे संवरता या दिन।
प्रभु ये जीवन तेरा, मुझको वरदान है,
मेरा मालिक है तू, तू मेरी शान है।
जो भी दे तू मुझे, सब स्वीकार है
धीर मैं न धरूं, लाख गलती करूं।
