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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी

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आचरण की श्रेष्ठता संग ,

सबके ही होवें स्वतत्र विचार,

जनहित में सकारात्मकता ,

लिए हो स्वतंत्रता हमार।

दशा और दिशा ही बदल जाएगी,

सारे वैश्विक परिवार की।

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी,

सुवासित मलयज बहार की।



समुचित विकास के हित,

सबकी स्वतंत्रता अति जरूरी।

दूजे की आजादी में बने बाधक,

है ऐसी हर स्वतंत्रता अधूरी।

खुद को गर्वित करे,

सबको हर्षित करें।

बहा दे जो मंदाकिनी,

सर्वत्र समरसता के प्यार की।

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी,

सुवासित मलयज बहार की।



वृहत दायित्व जिसको मिला है,

आस्थापूर्ण सहयोग उसका करें सब।

राग हर ढपली का न अलग हो ,

नियोजित रणनीति सफलता ही हो अब।

रखकर सारे पूर्वाग्रह अलग,

रह संगठित न हों हम विलग,

नेतृत्व की जरूरत सहयोग अपार की।

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी,

सुवासित मलयज बहार की।



हम ह्रदय से अपनत्व के संग,

संगठित रह सतत् ही करते रहें प्रयास।

सबके हित में ही होता है सबका हित,

विश्वबन्धुत्व भाव वाला ही उत्कृष्ट विकास।

निर्बलता और अहम् के त्याग सारे,

भ्रातृत्व भाव संग सदा अग्रसर हों हम,

सबकी चाहत आजादी सम्मान संग प्यार की।

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी,

सुवासित मलयज बहार की।



आचरण की श्रेष्ठता संग ,

सबके ही होवें स्वतत्र विचार,

जनहित में सकारात्मकता ,

लिए हो स्वतंत्रता हमार।

दशा और दिशा ही बदल जाएगी,

सारे वैश्विक परिवार की।

सर्वत्र आनन्दानुभूति हो जाएगी,

सुवासित मलयज बहार की।


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