शुभ समझ हम आपकी
शुभ समझ हम आपकी
विविध व्याधियों से ग्रस्त ,
त्रस्त है सारा ही संसार।
धीरज शांति संग सहयोग,
इनका सुनिश्चित उपचार।
समस्याएं सब मिट जाएगीं,
जड़ से ही हम आपकी।
जग में खुशहाली लाएगी,
शुभ समझ हम आपकी।
आती धूप-शीत ग़म की,
अति अधीर हम हैं होते।
श्रेष्ठता की अकड़ के संग ,
रह अशांत मन ही मन रोते।
यदि किया हमने है सहयोग,
सब मिटा देंगे हर ग़म रोग।
वरना घुन की तरह खाएगी,
यह अकड़ हम आपकी।
जग में खुशहाली लाएगी,
शुभ समझ हम आपकी।
हर जन हो हमारा परिजन,
बेशर्त खुशियॉं ही हम लुटाएं।
हर ग़म बॉंटे हम सभी के ही,
नि:स्वार्थ सहयोग करते जाएं।
शांति सहयोग के शुभ संस्कार,
बनाएंगे आनंदमय यह संसार।
जिस दिन दिल से मिट जाएगी,
स्वार्थ की भावना हम आपकी।
जग में खुशहाली लाएगी,
शुभ समझ हम आपकी।
विविध व्याधियों से ग्रस्त ,
त्रस्त है सारा ही संसार।
धीरज शांति संग सहयोग,
इनका सुनिश्चित उपचार।
समस्याएं सब मिट जाएगीं,
जड़ से ही हम आपकी।
जग में खुशहाली लाएगी,
शुभ समझ हम आपकी।
@ गायत्री डी पी सिंह कुशवाहा
