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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational

खाली हाथ रह गया

खाली हाथ रह गया

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बाकी 

सब झूठ हैं

इस झूठ में 

फंसी जिंदगी है


यह मेरा

यह तेरा

यह उसका

यहां न जाए

तो यह छूट गया


वहां जाते तो

यह मिल जाता

वहां न जाने से

उनसे रिश्ता 

टूट गया


वह वस्तु सुंदर था

मिलते मिलते

रह गया

जीवन भर का 

अफसोस


रह गया

इन पाने और 

खोने के बीच

मृत्यु की बेला 

भी आ गई

मुठ्ठी खोला

खाली हाथ था


जीवन भर 

पाने खोने

के बीच

जीता रहा

और खाली हाथ 

हीं रह गया।


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