जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी ऐसी सहेली है
जो हररोज नई पहेली है ।
सुबह का हाथ थामे,
शाम के रंगो में ढली है ।
फूलों की चाहत लिए,
कांटो के बीच पली है ।
पहचान बनाने अपनी,
जलती अंगार से खेली है ।
मंजिल को पाने के लिए,
पत्थरों की राह चली है ।
सुख दुःख की घड़ी में,
धैर्य बनके मिली है ।
कौन जाने ये कैसी,
अपनेआप में ही भली है ।
नफरतों की धरती पर,
खिली प्यार की कली है ।