कुछ पल का जीवन
कुछ पल का जीवन
कुछ पल का जीवन
कुछ पल की कविता
गीत गजल की गंगा में
मेरा मन बहता
लिखा वही जो देखा सुना
सब अपने शब्दों में बुना
कुछ गलत तो कुछ सही
आपकी मेरी बात कहीं
फिर भी बाकी कुछ
ऐसा ये दिल कहता
कुछ पल का जीवन
कुछ पल की कविता
जज्बात का ये गहरा सा सागर
ठहरी मैं कही इसमें आकर
चुन रही शब्दों के मोती
चुन चुन के लडि़या पिरोती
प्यारा सा ख्वाब जिसमें
दिल खोया रहता
कुछ पल का जीवन
कुछ पल की कविता
कल भी होगा कुछ ऐसा
ख्वाबो में हमने सोचा जैसा
खिलेगी नगमों की प्यारी कली
खिलके महकेगी हर गली
दिल की जमी पर
बहेगी शब्दों की सरिता
कुछ पल का जीवन
कुछ पल की कविता।