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Vaishnavi Mohan Puranik

Classics Inspirational

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Vaishnavi Mohan Puranik

Classics Inspirational

लड़कियां

लड़कियां

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 चंचल शितल निर्मल कोमल सी हैं लड़कियां

लड़के तो उड़ते भंवरे ठहरी सी हैं लड़कियां 


कोमल नाजुक सी कली खिलकर देखो फूल बनी

ममता की छाया में पली वो तो संस्कारो की धनी

खुशबू से महकाया बचपन शालीनता से सजाया यौवन

चेहरा तो है एक किताब मन उसका दर्पण

मीठी मीठी बोली बातो में अठखेलियाँ 

लड़के तो उड़ते भंवरे ठहरी सी हैं लड़कियां 


जो कहती हैं वही करती वो ऐसी पावन मूर्ति 

त्याग समर्पण स्नेह शक्ति से फैली उसकी किर्ती

धूप छांव है कभी कभी जलती अंगार

लक्ष्मी वाणी उसमें देखो दुर्गा का अवतार

जितनी कठोर उतनी कोमल जादू की वो पुड़िया

लड़के तो उड़ते भंवरे ठहरी सी हैं लड़कियां।


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