कहना तो बहुत है, शब्द ही कम पड़ गए, तुम वो भी समझना जो हम कह न पाए। कहना तो बहुत है, शब्द ही कम पड़ गए, तुम वो भी समझना जो हम कह न पाए।
वह एक इंसान नहीं कोई वस्तु हो जैसे, पूछा जाए कैसी लगी ? वह एक इंसान नहीं कोई वस्तु हो जैसे, पूछा जाए कैसी लगी ?
हँसी ठिठोली और सुख दुख निभाती। कड़ी धूप की वो लगती परछाइयां। हँसी ठिठोली और सुख दुख निभाती। कड़ी धूप की वो लगती परछाइयां।
कभी शरद पूनम की उजियार सी तो कभी उष्ण अंगार सी धधकती जाती है, ज़िन्दगी तू कभी शरद पूनम की उजियार सी तो कभी उष्ण अंगार सी धधकती जाती है, ज़िन्दगी तू
पिता की आँख का पानी और भाई की स्नेह रागिनी होती है इन बिना भाई की कलाई सुनी और माथे पर न लाली होत... पिता की आँख का पानी और भाई की स्नेह रागिनी होती है इन बिना भाई की कलाई सुनी औ...
दुश्मनों का दायरा बढ़ता जाता है और कहने को यही रह जाता है की इससे अच्छे तो दुश्मन होते है दुश्मनों का दायरा बढ़ता जाता है और कहने को यही रह जाता है की इससे अच्छे तो द...