Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Naman Gazta

Abstract

3  

Naman Gazta

Abstract

रंग बदलती ज़िन्दगी

रंग बदलती ज़िन्दगी

1 min
291


ज़िन्दगी तू यूं रंग बदलती जाती है,

पल- पल मुझे यूं छल सी जाती है।


कभी माँ के दुलार सी तो कभी रण की हुंकार सी

गरजती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी शीतल बयार सी तो कभी खूंखार धार सी

लटकती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी शरद पूनम की उजियार सी तो कभी

उष्ण अंगार सी धधकती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी मदमस्त गजगमिनी सी तो कभी

चंचल दामिनी सी दमकती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी अधेड़ सयानी सी तो कभी अल्हड़ मस्तानी सी

मचलती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी जेठ की दुपहरी सी तो कभी मुट्ठी की रेत सी

फिसलती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी राग मल्हार सी तो कभी रौद्र चीत्कार सी

हृदय पटल को बींधती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी बसंत की महकती बगिया सी तो कभी

पतझड़ के पत्तों सी बिखरती जाती है, ज़िन्दगी तू


कभी सरल सहेली सी तो कभी

अनबूझ पहेली सी उलझती जाती है, ज़िन्दगी तू


ज़िन्दगी तू रंग बदलती जाती है,

पल- पल मुझे यूं छल सी जाती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract