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Sarita Kumar

Abstract

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Sarita Kumar

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बाल दिवस पर एक विशेष रचना

बाल दिवस पर एक विशेष रचना

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पचपन के बाद भी शेष बचा है बचपन ।

बच्चों के संग खेलें हम बैडमिंटन , लूडो और कैरम ।


खाते कुल्फी खूब मज़े से , खाते पिज़्ज़ा बर्गर ।

निकलते हैं जब लांग ड्राइव पर , सड़क से लेते भुट्टा ।


दूर दराज किसी फार्म हाउस पर पहुंच कर लेते सेल्फी ।

बैठकर किसी मॉल में देखते अंग्रेजी मूवी ।


छेड़ते हैं तान ग़ज़ल के , कभी बेसुरा गीत ।

बन जाते हैं बच्चों के हम सबसे अच्छे मीत ... ।


नाती पोते बेटा बहू दामाद संग जब होते ।

भूल भाल कर चिंता फिक्र करते हैं हम मस्ती ।


कौन कहेगा हम बुड्ढों को , कि हो गये हम बुड्ढे ।

पचपन के बाद भी शेष बचा है बचपन ।


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