बाल दिवस पर एक विशेष रचना
बाल दिवस पर एक विशेष रचना
पचपन के बाद भी शेष बचा है बचपन ।
बच्चों के संग खेलें हम बैडमिंटन , लूडो और कैरम ।
खाते कुल्फी खूब मज़े से , खाते पिज़्ज़ा बर्गर ।
निकलते हैं जब लांग ड्राइव पर , सड़क से लेते भुट्टा ।
दूर दराज किसी फार्म हाउस पर पहुंच कर लेते सेल्फी ।
बैठकर किसी मॉल में देखते अंग्रेजी मूवी ।
छेड़ते हैं तान ग़ज़ल के , कभी बेसुरा गीत ।
बन जाते हैं बच्चों के हम सबसे अच्छे मीत ... ।
नाती पोते बेटा बहू दामाद संग जब होते ।
भूल भाल कर चिंता फिक्र करते हैं हम मस्ती ।
कौन कहेगा हम बुड्ढों को , कि हो गये हम बुड्ढे ।
पचपन के बाद भी शेष बचा है बचपन ।
