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Richa Baijal

Abstract

4.5  

Richa Baijal

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माँ ! तुझे सलाम .

माँ ! तुझे सलाम .

3 mins
222


माँ ! तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 

बाँहों में तेरी वो लोरी की शामें याद हैं 


हंसती मुस्कुराती तू, 

मेरे चेहरे में अपने अक्स को तलाशती तू,

हर पल मुस्कुराती तू,

मुझे घड़ी- घड़ी चूमकर दुनिया की बलाओं से बचाती तू 

माँ, मेरे चेहरे पर लगाया वो बड़ा सा काजल का टीका याद है 


सुनहरी धूप में तेरा मुझे जी भर कर निहारना याद है 

मालिश करते तेरे हाथों की छुअन याद है 

मेरा बुखार में तपना,वो डेढ़ साल की उम्र :

तेरे आंसुओं की तड़प याद है 

वो जल्दी में तेरा बड़ी -बड़ी कतारों में मुझे लेकर जाना 

और, बेसब्र सी तेरी उन आँखों की कसक याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


मेरी गलतियों को छुपाना याद है 

तेरा आँचल को अपने दांतों में फँसाना

स्कूल न जाने के बहाने बनाना 

दूध का हर बार जल्दबाज़ी में गिर जाना 

वो बादामों को हर रात याद से भिगो देना 

माँ, मुझे तेरा थककर भी मुस्कुराते रहना याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


"शार्पनर " की चोरी की तो नहीं थी मैंने

लेकिन वो ' तपाक-सा ' तेरा तमाचा याद है 

हर शाम को "टॉफ़ी " दिलाना याद है 

उस बहाने -से तेरा मुझको पढ़ाना याद है 

"दादी माँ " की डाँट से मुझे बचाना याद है 

'अगरबत्ती' और 'इलाइची' मुझे अलग से दिलाना याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


चाय बुरी हो,और रोटी जली हो 

लेकिन तेरा वो प्रेम से खाना याद है 

अपना सुकून मुझमे पा लेने का तेरा वो समर्पण याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


मेरे इंतज़ार में तेरा खाना न खाना याद है 

माँ, वो तेरे अकेलेपन का ज़माना याद है 

तेरी दुनिया मैं ही तो हूँ,

मेरी हर फरमाइश का पूरा हो जाना याद है 

माँ, तेरा मुझे वो बड़ा वाला टेडी - बीयर दिलाना याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


तेरे आँचल में सुकून से रहती हूँ 

माँ, मैं हर पल खुश रहती हूँ 

 सुबह ५ बजे की वो मेरी चाय याद है 

'परीक्षाओं ' में आपका मुझसे पहले उठ जाना याद है 

मेरी सफलता में आपका जी जाना याद है 

मेरी शादी की चिंता में आपका घुलते जाना याद है 

'मैट्रिमोनियल ' को चश्मे लगा कर पढ़ते जाना याद है 


हाँ, माँ ! वो बस गोलगप्पे और चाट की आपकी ख्वाहिश याद है 

'क्या है माँ, आपका फेवरट? ", उसमें भी मेरी ही पसंद आपको याद है 

न कपड़ों की ललक, न ख्वाहिश और कोई है 

बस मेरी मुस्कुराहटों में माँ ने अपनी ज़िन्दगी संजोयी है .


जो मुझे सताए,उससे लड़ जाती हैं 

मेरी माँ तब 'लक्ष्मी बाई ' बन जाती हैं

जो मुझे प्यारा, वो उनका भी अपना हैं 

माँ, फिर 'अन्नपूर्णा ' हो जाती हैं

मेरी फ़िक्र में आपका रात में उठकर मुझे देखने आना याद है 

माँ तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 


माँ,तेरा पूजा में भी मेरे हर सवाल का जवाब देना याद है 

तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है 

नहीं समझ सकती हूँ फिर भी तुमको ;

आपकी परवरिश का हर संभव -सा सिलसिला याद है 

माँ, तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है

माँ, तेरे आँचल का वो पहला एहसास याद है।


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