STORYMIRROR

Shruti Gupta

Abstract

4  

Shruti Gupta

Abstract

कुछ कहानी में कहो

कुछ कहानी में कहो

1 min
262


कुछ कहानी में कहो

कि जिससे नींद में खलल

गाड़ियों का शोर

एक नई सुबह का आगाज़ लगे

रोज़ का कायम दस्तूर

ये बेज़ार काम

बनते हुए जिम्न का उल्लास लगे


कुछ कहानी में कहो

कि जितनी दफा सवारी करें

मंजिल पहुंचने के साथ

आरजू भी फलक-परवाज़ हो

चाल में अल्फाज में नुदरत

उधेड़-बुन की चहल-कदमी में

तहसीन के लायक अंदाज हों


कुछ कहानी में कहो

कि खलिश की दखल

जेहद, फ़र्त-ए-ग़म में

रूमानी हयात लगे

और वक्त की जेबों में

मासूमियत से भरे

खैर के क़ासिद आबाद लगें


कुछ कहानी में कहो

कि जब नींद दुश्वार लगे

लम्बी रात लगे

तो मंज़र गायब हो जाए

छोटी खुशियों का बड़ा जश्न

ख़ास-उल-ख़ास के साथ हो

इस कहानी का अंजाम

ख़त्म-बिल-खैर हो जाए


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract