साया
साया
एक शख्स से मुलाकात हुई
वाकिफ़ हूँ ज़ात से
दो कदम पहले की मेरी ज़िंदगी
जी रहा है मेरे साथ में
साये में रहता हो मानो मेरे
तकरारी हर बात में
दो चार फीट की दूरी से
मुड़-मुड़ कर गौर करती हूँ
रफ्तार बराबर करने का
मुसलसल ज़ोर करती हूँ
मगर वो साये में रहना चाहता है
खुद ही चुनेगा अपनी लौ
बसारत में ना होगा मेरे
अलग हो जाएंगे रास्ते दो
और घुल जाएगा एक शब में साया
काबू ना होगी हस्ती वो ।