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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Inspirational

हे देश के कर्णधार सिविल सेवकों

हे देश के कर्णधार सिविल सेवकों

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हे! देश के कर्णधार सिविल सेवकों ,

आज हम तुझे तेरे संकल्प की याद दिलाते हैं

तेरे कर्तव्य ही तेरी निष्ठा है,

तेरे समर्पण ही तेरी प्रतिष्ठा है।

आज हम उन्हें आत्मसात कराते हैं।

देश के जन - जन तक

नागरिक सेवाओं की सुलभता के लिए ही हुई है तेरी नियुक्ति ,

तेरे हर कार्य पर निर्भर करता है भारत माता के संतानों की उनकी दीनता से मुक्ति।

हम उन्हीं शपथ के वचनों की सौगंध फिर से सुनाते हैं ,

हे! देश के कर्णधार सिविल सेवकों हम तेरे कर्तव्य की स्मरण पुनः कराते हैं।

समाज के प्रति संवेदनशीलता का भाव हृदय में रखकर ही

दीन-हीन जनता का हो सकता है कल्याण,

हे ! देश के कर्णधार नौकरशाहों अपने कर्तव्य को पहचान ,

जनसेवा को ही एकमात्र अपना लक्ष्य लो मान ।

इसी में है तुम्हारा और संपूर्ण भारत का कल्याण।।

क्योंकि तुम्हारी नीति और रीति से ही होती है;

 तुम्हारे व्यक्तित्व और तुम्हारे कर्तव्य की पहचान,

 हे ! देश के कर्णधार सिविल सेवकों राष्ट्र सेवा में अपना सर्वस्व दो दान।।



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