हे देश के कर्णधार सिविल सेवकों
हे देश के कर्णधार सिविल सेवकों
हे! देश के कर्णधार सिविल सेवकों ,
आज हम तुझे तेरे संकल्प की याद दिलाते हैं
तेरे कर्तव्य ही तेरी निष्ठा है,
तेरे समर्पण ही तेरी प्रतिष्ठा है।
आज हम उन्हें आत्मसात कराते हैं।
देश के जन - जन तक
नागरिक सेवाओं की सुलभता के लिए ही हुई है तेरी नियुक्ति ,
तेरे हर कार्य पर निर्भर करता है भारत माता के संतानों की उनकी दीनता से मुक्ति।
हम उन्हीं शपथ के वचनों की सौगंध फिर से सुनाते हैं ,
हे! देश के कर्णधार सिविल सेवकों हम तेरे कर्तव्य की स्मरण पुनः कराते हैं।
समाज के प्रति संवेदनशीलता का भाव हृदय में रखकर ही
दीन-हीन जनता का हो सकता है कल्याण,
हे ! देश के कर्णधार नौकरशाहों अपने कर्तव्य को पहचान ,
जनसेवा को ही एकमात्र अपना लक्ष्य लो मान ।
इसी में है तुम्हारा और संपूर्ण भारत का कल्याण।।
क्योंकि तुम्हारी नीति और रीति से ही होती है;
तुम्हारे व्यक्तित्व और तुम्हारे कर्तव्य की पहचान,
हे ! देश के कर्णधार सिविल सेवकों राष्ट्र सेवा में अपना सर्वस्व दो दान।।
