मनोद्वारों पर कुछ तो खटकता न बोलने की कुछ तो विवशता मनोद्वारों पर कुछ तो खटकता न बोलने की कुछ तो विवशता
मैं कुछ भी, देखता सुनता हूँ, जज्बाती हो, जाता हूँ...! मैं कुछ भी, देखता सुनता हूँ, जज्बाती हो, जाता हूँ...!
सभी जीवों के अन्दर एक, बहुत बड़ा भाव होता है। संवेदनशीलता के नाम से. सभी जीवों के अन्दर एक, बहुत बड़ा भाव होता है। संवेदनशीलता के नाम से.
समें बसे नागरिकों के प्रति संवेदशीलता रखें तथा जितना हो सके सहयोग करें। समें बसे नागरिकों के प्रति संवेदशीलता रखें तथा जितना हो सके सहयोग करें।
जीवन/ जीने के संघर्ष की प्रक्रिया में नागफनी के सुर्ख फूल सा खिल उठता है जीवन/ जीने के संघर्ष की प्रक्रिया में नागफनी के सुर्ख फूल सा खिल उठता है
प्रेम भी एक बार मिथ्या हो जाए तुम्हारे सामने आख़िर तुम ब्रह्म ज्ञान सी अद्वितीय आराधना प्रेम भी एक बार मिथ्या हो जाए तुम्हारे सामने आख़िर तुम ब्रह्म ज्ञान सी अद्वित...