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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

जुल्फों का पहरा

जुल्फों का पहरा

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जुल्फें तुम्हारे सघन सेहरा

आंखों में सजे नया सवेरा 

पलकों के उठक बैठक से 

मन बावरा

कानों में लटकता सुंदर सुमन सुनहरा

झंकृत रोम रोम कल्पना में सुकून का पहरा

जुबां ख़ामोश नज़रों का संवाद गहरा

कैसे ना लिखूं 

असामान्य तुम्हें 

ईश्वरीय आंखों का तुम जीता जागता चेहरा

नैन स्पर्श से सृजन मेरा 

तुम्हारे अस्तित्व में है मेरा जग सारा 

संवेदनशीलता का ठहराव

ये तुम्हारे बदन

हर जगह से है पवित्रता का परिभाषा

प्रेम भी एक बार मिथ्या हो जाए तुम्हारे सामने

आख़िर तुम ब्रह्म ज्ञान सी अद्वितीय आराधना

विवरण नहीं कर सकता तुम्हारे प्रणय प्रसून की 

देवत्व शब्दों के आभूषण से आभूषित

नाम तुम्हारा 

शीश चूम करूं प्रेम 

मैं तुमसे जागृत शब्दों का उजाला 

विश्लेषण करूं तुम्हारे होंठों की क्या 

ये सजल ओस की बूंदों का बसेरा

सांसों के बयार में उड़ता जीवन मेरा 

धड़कते धड़कन में जीता सांस मेरा 

नहीं हूं अलग तुमसे 

तुम्हारे प्रतिबिंब में मेरा चेहरा 

शब्दों के संयोजित क्रम रचते एक बदन 

मैं तुम्हारे जीवन का जड़ चेतना

बस रहूं जीवन भर गोद में तुम्हारे

वात्सल्य में भींग 

मैं तुम्हारे ममतामय गर्भ का शिशु प्यारा

तुम रहो सदा खुश सृष्टि में 

लबों पे उभरा 

मैं वो मुस्कान तुम्हारा ।


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