*संवेदनशीलता*
*संवेदनशीलता*
सभी जीवों के अन्दर एक,
बहुत बड़ा भाव होता है।
संवेदनशीलता के नाम से,
उसको जाना जाता है।।
जिस इंसान के अन्दर,
यह भाव नहीं पनपता है।
सही मायने में वह इंसान,
सच्चा इंसान ही नहीं होता है।।
संवेदनशीलता भाव से ही,
हम एक दूसरे से जुडते हैं।
दूसरे के सुख दुःख भी अपने,
सुख दुःख जैसे ही लगते हैं।।
इस भाव को हमें कभी नहीं,
अपने मन से मिटाना चाहिए।
प्रकृति के प्रत्येक घटकों से भी हमें,
सदासंवेदनशील होना चाहिए।।