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MALA SINGH

Abstract Children

4  

MALA SINGH

Abstract Children

बचपन

बचपन

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कितना प्यारा था वह बचपन,

ना किसी की फिक्र,ना कोई उलझन।

मस्ती भरा हर पल होता था,

गर्मी सर्दी का कोई असर नहीं होता था।।


चंचलता अंग अंग में भरी थी,

आंखों में ख्वाबों की चमक भरी थी।

मन में ना कोई छल-कपट,

ना कोई द्वेष भाव होता था।।


बस सबके संग में, 

खेल-कूदने का मन होता था।।

खाना-पीना दौड़ भाग कर कर लेते थे,

स्कूल भी झूम झूम कर जाते थे।

दोस्त भी खूब सारे होते थे,

झट में लड़ाई,झट में प्यार संग जीते थे ।।


बचपन का समय निराला होता है,

उसके जैसा और कोई समय नहीं होता है।


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