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Surya Barman

Abstract

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Surya Barman

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काशी नगरी

काशी नगरी

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जहाँ मन प्रकाशमयी शिव करें,

जहाँ आभा महिमावान करें ।


जहाँ कबीर कह गये वाणी अपनी,

जहाँ नाद स्वयम् ही शिव करें ।


बसती है सादगी जहाँ,

जहाँ अद्भूत काशीनाथ है ।


जहाँ पग पड़े तृप्ति मिलती,

उस काशी की हम क्या बात करें ।


जहॉं ज्ञान सरोवर बहता है,

शिव मनुष्यों का उद्धार करें ।


अद्रूत है काशी का धाम,

जहाँ अड़भंगी शिव वास करें ।


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