काशी नगरी
काशी नगरी
जहाँ मन प्रकाशमयी शिव करें,
जहाँ आभा महिमावान करें ।
जहाँ कबीर कह गये वाणी अपनी,
जहाँ नाद स्वयम् ही शिव करें ।
बसती है सादगी जहाँ,
जहाँ अद्भूत काशीनाथ है ।
जहाँ पग पड़े तृप्ति मिलती,
उस काशी की हम क्या बात करें ।
जहॉं ज्ञान सरोवर बहता है,
शिव मनुष्यों का उद्धार करें ।
अद्रूत है काशी का धाम,
जहाँ अड़भंगी शिव वास करें ।