बाहों में तुम्हारी
बाहों में तुम्हारी
उनकी खुशबू हमे छू जाये
किसी दिन, तो क्या बात हो
आह यहाँ निकले और याद उन्हें आए
किसी दिन, तो क्या बात हो
जब भी कोई ले नाम हमारा और
ज़िक्र तुम्हारा आए, तो क्या बात हो
वो रहे नींद की आग़ोश में और ख्वाब हमारा आए
किसी दिन, तो क्या बात हो
मेरी अंगड़ाइयों में रहे एहसास तेरा
किसी दिन, तो क्या बात हो
बांहों में तुम्हारी गर्माहट मेरी रहे
किसी दिन, तो क्या बात हो
ये बातें हमारी सच हो जाएं
किसी दिन तो क्या बात हो..

