एहसास
एहसास
कुछ कह जाएंगे तो शायद कहीं रह जाएंगे,
वरना तो लहरों की तरह दरिया में बह जाएंगे।
अपने शब्दों में भर दिये है एहसास तमाम,
अपने शब्दों में ही सही ,कहीं तो ज़िन्दा रह जाएंगे ।
किसी की वाह या आह में शामिल होगा हमारा भी नाम,
एहसास या शिकायत बनकर,अपनी मौजूदगी महसूस कराएंगे।
हमसे मिलो या किनारा कर लो,ये आपकी मर्ज़ी,
एक दफा तो आपकी आंखों के सामने ज़रूर आएंगे ।
सोचा,समझा ,जाना और मानकर लिख दिया,
अच्छा या बुरा, ये फैसला अब आपसे कराएंगे ।
कुछ कह जाएंगे तो शायद कहीं रह ही जाएंगे....
