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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

तन्हा मुसाफिर

तन्हा मुसाफिर

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मेरा शहर " कोलकाता "

ये शहर जिसमें जान बसती है..

रंगबिरंगी सब आँखें हैं

जहाँ पटरियाँ हँसती हैं..


 चलता रहता है ये शहर,

जहाँ तक नज़रें ले जाएँ,

हर तन्हा मुसाफिर को,

पूरा समन्दर दे जाए..


 घड़ियाँ यहाँ बोलती हैं,

सपनों को भाव लगाकर तोलती हैं,

 हर नुक्कड़, हर गली,

 अनगिनत कहानियाँ खोलती है..


 फूटपाथ की भी यहाँ साँसें चलती हैं,

 गोद लिए फिरती हैं ज़िंदगियाँ कई,

मशरूफ़ है अपने आप में सदियों से ये शहर,

 ये शहर कभी बूढ़ा होता ही नहीं..


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