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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

दीदार तुम्हारा हो ...

दीदार तुम्हारा हो ...

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इस दिल की तमन्ना है की दीदार तुम्हारा हो,,

इस दिल में रहो बस तुम और हर बार जिक्र भी तुम्हारा हो 


आशा बस इतनी सी कि ये दीदार तुम्हारा हो

रोम रोम में आप बसों बस प्यार तुम्हारा हो 


हम चाहते हैं कि दीदार तुम्हारा हो

तुम्ही से ही एक दफा और फिर प्यार हो


वही एहसास हो

वही इक़रार हो

वैसी ही लबों की थरथराहट

वैसी ही धड़कनों की आवाज हो


वैसे ही अपनी हाँ को न में छुपाओ तुम

वैसे ही तुम्हारे चेहरे को छिपता तुम्हारा लिबास हो


तुम उसी तरह हँसा करो साथ मेरे

वैसे ही हसीन झगड़े हमारे दिन रात हो


तुम पूछो मुझसे मेरा साथ तो न छोड़ोगे

और तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ हो


दीदार तुम्हारा हो की ,तुम्हें देखने को ये आंखें कुछ यूँ तरसती है,

जैसे बीच समंदर में बैठा वो प्यासा मुसाफिर हो



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