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दयाल शरण

Abstract

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दयाल शरण

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किरदार

किरदार

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जिसका कथा में

जितना हिस्सा

उतना उसे 

निभाने दो


छोटे सा किरदार

भले हो

उसे अपनी कला

दिखाने दो।


रात को जब बैठो

तो कर लेना 

कोई हिसाब

पाना-खोना

मोती सा पिरोना


रंग लेना

मन का आकाश

अभी तो जो

प्रकृति से जनी है

उसको कण-कण छाने दो।


छूट गए कुछ लोग

भले ही साथ कभी

वो पलभर थे

टीसेंगे वे पल 

जब वे किरदार में

अपने चरम पर थे


विस्मृत से उनके

अभिनय को

याद कभी तुम

कर लेना


इस पल अपने 

जीवन को खुद का 

किरदार निभाने दो।


छोटे सा किरदार

भले हो

उसे अपनी कला

दिखाने दो।


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