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दयाल शरण

Abstract

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दयाल शरण

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मुकम्मल

मुकम्मल

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आपका ख्वाब कभी

मुकम्मल हो जाए

किसी चेहरे पे कभी 

खुशी भी दस्तक दे जाए


उदासी के बीच कभी कभी

कोई खुशी की लहर आ जाए

मेरे घर चांद भी उतरे कभी

सुबह सूरज जगाने आ जाए


तुम्हारी खुशी पे कभी

मेरे रंगों का असर हो जाए

खुशियां साझा हो जाएं कभी

यूं कोई दिन,रात को सजा जाए


हम अपनी जिंदगी का कभी

कोई हिस्सा तुम्हारे नाम लिख जाएं

जब भी वक्त तुम्हें इजाजत दे कभी

हमें पढ़ो और वो लम्हा सुनहरा हो जाए


मेरे घर चांद भी उतरे कभी

सुबह सूरज जगाने आ जाए

खुशियां साझा हो जाएं कभी

यूं कोई दिन,रात को सजा जाए।


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